रायपुर, छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों द्वारा 9 सितंबर तक फीस जमा ना करने की चेतावनी को बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गलत बताया है। फीस के नाम पर निजी स्कूलों द्वारा पालकों पर लगातार बनाये जा रहे दबाव और बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने से मना करने के बाद छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ और छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में इसकी लिखित शिकायत की थी।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी बच्चों को फीस के आभाव में शिक्षा से वंचित कर देने की बात को गलत ठहराया है। आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है। फीस जमा ना करने की वजह से बच्चों को शिक्षा से वंचित नही किया जा सकता है। अध्यक्ष दुबे ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में कहा है कि अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत बच्चों को सभी तरह का लाभ मिले। साथ ही किसी भी स्तर पर बाल अधिकारों के हनन की स्थिति निर्मित ना हो, इसके भी प्रयास किये जायें।
गौरतलब है कि निजी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर जारी किये गए तुगलकी फरमान के खिलाफ पालक संघों ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करा कर हस्तक्षेप की मांग की थी।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी बच्चों को फीस के आभाव में शिक्षा से वंचित कर देने की बात को गलत ठहराया है। आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है। फीस जमा ना करने की वजह से बच्चों को शिक्षा से वंचित नही किया जा सकता है। अध्यक्ष दुबे ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में कहा है कि अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत बच्चों को सभी तरह का लाभ मिले। साथ ही किसी भी स्तर पर बाल अधिकारों के हनन की स्थिति निर्मित ना हो, इसके भी प्रयास किये जायें।
गौरतलब है कि निजी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर जारी किये गए तुगलकी फरमान के खिलाफ पालक संघों ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज करा कर हस्तक्षेप की मांग की थी।
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