- छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के खिलाफ पैरेंट्स ने की शिकायत
- एसोसिएशन ने 31 अगस्त को पत्र जारी कर स्टूडेंट्स की फीस जमा करने को कहा
कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों और पैरेंट्स का विवाद अब पुलिस और बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक पहुंच गया है। प्राइवेट स्कूलों ने पैरेंट्स को 8 सितंबर तक स्टूडेंट्स की फीस जमा करने के लिए कहा है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि फीस जमा नहीं करने की स्थिति में ऑनलाइन क्लासेज से बच्चों को वंचित कर दिया जाएगा। इसके बाद पैरेंट्स ने आयोग और सिटी कोतवाली में शिकायत दी है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से 31 अगस्त को एक पत्र जारी किया गया है। इस पत्र में पैरेंट्स को कहा गया है कि निर्धारित तारीख तक फीस नहीं जमा करने पर ऑनलाइन क्लासेज बंद कर दी जाएगी। इसके बाद छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने शिकायत देकर स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश शाह और सचिव राजीव गुप्ता पर एफआईआर दर्ज करने व कार्रवाई की मांग की है।
पैरेंट्स बोले- स्कूलों की धमकी दे बिगड़ सकती है कानून-व्यवस्था
आयोग पहुंचे पैरेंट्स का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों ने फीस जमा करने की तिथि निर्धारित की है। बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज से वंचित कर देने की धमकी देकर दबावपूर्वक फीस वसूलने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं पैरेंट्स ने भी चेतावनी दी है कि प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन की इस तरह से धमकी देने और बच्चों को पढ़ाई से वंचित करने पर जिले की कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।
बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार, वंचित नहीं कर सकते स्कूल
पैरेंट्स एसोसिएशन की सचिव कीर्ति चावड़ा कहती हैं कि बिलासपुर हाईकोर्ट के 9 जुलाई के निर्णय और निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम का स्कूल उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कोई भी प्राइवेट स्कूल भी किसी प्रवेश लिए बच्चे को किसी भी परिस्थिति में शिक्षा से वंचित नहीं कर सकते हैं। अगर कोई स्कूल जानकर बच्चे को इस तरह से प्रताड़ित करता है तो यह अपराध है।
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