प्रदेश की तरह कोरोना ने राजधानी में भी अगस्त के अंतिम 15 दिन में कहर ढा दिया और आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के मुकाबले कोरोना संक्रमण राजधानी रायपुर में ज्यादा तेजी से फैला। अभी केवल राजधानी के 5831 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, इसलिए अस्पतालों से लेकर कोविड केयर सेंटर तक फुल हो गए हैं। हालांकि विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि अगस्त अंत और अगला हफ्ता संभवत: कोरोना संक्रमण के पीक का दौर है। इसके बाद यानी सितंबर के दूसरे हफ्ते से मरीजों की संख्या में लगातार कमी की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन यह तभी संभव है, जब लोग सावधानी बरतें तथा मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
प्रदेश का पहला कोरोना मरीज राजधानी रायपुर में ही 18 मार्च को मिला था। उसके बाद अप्रैल और मई में कोरोना के गिनती के केस आए। जून में संक्रमण कुछ बढ़ा और जुलाई में तेजी अ गई। अगस्त के शुरुआती दो हफ्ते में राजधानी में रोजाना सौ से ऊपर केस मिलते रहे, लेकिन अंतिम 15 दिनों में तो कोरोना ने राजधानी में कहर बरपा दिया। इस वक्त शहर में रोजाना 500 के औसत से मरीज मिल रहे हैं।
कोरोना कोर कमेटी सदस्य डॉ. आरके पंडा की कलम से
संक्रमण का पीक इसलिए इस माह राहत की उम्मीद
स्वास्थ्य विभाग का आंकलन था कि अगस्त में पीक रहेगा। एक दिन में 500-500 से ज्यादा मरीज मिले। यह पीक ही है, इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि सितंबर के दूसरे सप्ताह से मरीजों की संख्या में कमी अनी शुरू हो जाएगी। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी बात ये है कि राजधानी के लोगों को अब ज्यादा सावधानी बरतनी होगी, नहीं तो संक्रमण की दर कम नहीं होगी। इसके दो-तीन माह बाद राजधानी में एक सीजन फिर आ सकता है। जो अभी तक संक्रमण से बचे हुए हैं, दूसरे सीजन में वे संक्रमित हो सकते हैं। अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में सेकंड पीक आ चुका है। कोरोना के संक्रमण की प्रकृति पूरे विश्व में एक जैसी है, इसलिए राजधानी और प्रदेश में एक बार फिर सेकंड पीक अजाने की अनाशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
डीएमई डॉ. विष्णु दत्त के अनुसार भी पीक का दौर
जिस तरह रायपुर में केस बढ़े हैं, यह पीक जैसी स्थिति है। उकेरेना काने रेंकने में सरकारी अमले के साथ लोगों की जागरुकता अहम है। कई लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं, इसलिए भी संक्रमित हो रहे हैं। इसकी चेन तोड़ने के लिए सबकी भागीदारी जरूरी है।
सिर्फ दो हफ्ते में दर्जनभर हॉटस्पॉट
इस वक्त पूरे प्रदेश के 35 प्रतिशत मरीज राजधानी से ही हैं। शहर के पुराने हाटस्पाट खत्म हो गए, लेकिन अगस्त के दो हफ्ते में ही दर्जनभर नए हाटस्पाट बन गए और इस बार ज्यादातर हाटस्पाट पाश कालोनियों में हैं। जुलाई तक एक परिवार में एक-दो मरीज निकल रहे थे, लेकिन अगस्त के दूसरे हफ्ते में ऐसे दर्जनों मामले सामने अघाए जब परिवार के अधिकांश सदस्य और कई मामलों में तो पूरा के पूरा परिवार ही संक्रमित हो गया। हालांकि स्वास्थ्य अफसरों और डाक्टरों का मानना है कि रायपुर बड़ा शहर है, इसी वजह से यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा मरीज भी हैं और मौतें भी यहीं ज्यादा हुई हैं। यह तभी काबू में अाएगा, जब लोग सोशल डिस्पेंसिंग और मास्क के साथ जरूरी एहतियात बरतेंगे।
इतने मरीज... कोविड अस्पताल अब 40 हॉस्टलों में भी
राजधानी में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने और इलाज के इंतजाम कम पड़ने की वजह से अब प्रशासन ने राजधानी के विश्वविद्यालयों और कालेजों के हास्टलों को कोविड केयर सेंटर में तब्दील करने का फैसला किया है। प्रशासन ने 40 हास्टलों की सूची बनाई है, जहां एक-एक कर कोविड केयर सेंटर शुरू होंगे। कलेक्टर ने पिछले हफ्ते ही एचएनएलयू, आईआईएम,आईआईआईटी, एसआईएमटी, कलिंगा, एमिटी औऱ मैट्स विवि के रजिस्ट्रारों की बैठक लेकर उनसे ऐसे हास्टल भवनों की सूची मांग ली थी, जिन्हें कोविड सेंटर बनाया जा सकता है। इन विवि और कॉलेजों से कहा गया है कि वे यहां सफाई दुरुस्त करें, ताकि जरूरत पड़ते ही यहां मरीजों को भर्ती किया जा सके। यही नहीं, राजधानी में दो माह पहलेे जिन परिसरों को प्रवासियों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया था, अब वहां कोविड केयर सेंटर शुरू किए जाएंगे। इनमें शहर के कई सामुदायिक और सामाजिक भवन भी शामिल हैं। इनकी संख्या एक दर्जन से ज्यादा है। इनमें रायपुर निगम के भवन भी हैं और बिरगांव निगम के भी।
कोरोना मरीज इस माह सबसे ज्यादा
- पहला मरीज - 18 मार्च
- 31 मई तक - 05
- 30 जून तक - 324
- 31 जुलाई - 2895
- 31 अगस्त - 11227
आयुष विवि तथा होटल प्रबंधन संस्थान बने अस्पताल
प्रशासन ने आयुष विश्वविद्यालय तथा होटल प्रबंधन संस्थान उपरवारा को भी अस्थाई कोविड-19 हॉस्पिटल बनाने का आदेश जारी कर दिया है। इसके समन्वय के लिए डिप्टी कलेक्टर सूरज साहू को नोडल अफसर बनाया गया है। इनके संचालन और चिकित्सा इंतजाम का जिम्मा रायपुर सीएमएचओ, अन्य व्यवस्था के लिए नगर पंचायत अभनपुर, सुरक्षा के लिए एक डीएसपी और बिजली इंतजाम का जिम्मा ईई को सौंपा गया है।
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