यह भवन स्थापत्य कला का अनूठा नमूना है। आठ कोण, उन पर लगे तीखे मेहराब, हर दो कोण के बीचो-बीच गोलाकार खिड़कियां और उन पर जालीदार आकृति। यह ब्रिटेन की महारानी के ताज जैसा लगता है। यह भवन 150 साल का इतिहास समेटे हुए है। मेहराबदार पत्थर से बनी अष्टकोणीय सफेद इमारत है। इसे आज महाकौशल कला वीथिका के नाम से जाना जाता है।
इतिहासकार डॉ. रमेंद्र नाथ मिश्र के अनुसार राजनांदगांव रियासत के महंत घासीदास ने 1875 में इस भवन का निर्माण कराया था। अंग्रेजों के जमाने में यह शस्त्रागार था। फिर यहां पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया गया। छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों से प्राप्त ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, प्राकृतिक सामग्री प्रदर्शित की जाती थी। अभी इसकी देखरेख का जिम्मा महाकौशल कला परिषद के पास है। वह इसकी देखरेख के साथ फोटो-चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन कर रही है
पूरे भवन में था सीपेज
महाकौशल कला वीथिका पुराना होने के कारण पूरे भवन से सीपेज था। इससे दीवारें कमजोर हो गई हैं। इसे देखते हुए स्मार्ट सिटी ने इस धरोहर को बचाने के लिए कायाकल्प करने का फैसला लिया। अभी भवन की छत पर टाइल्स लगाई जा रही है। इसके अलावा दीवार और खिड़कियों की मरम्मत की जा रही है। खाली पड़ी जमीन में पार्किंग और मंच का निर्माण किया जा रहा है। बताया जाता है कि इस भवन के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं किया जा रहा है। जीर्णोद्धार के बाद यह सफेद कलर में ही दिखाई देगा। दीवार पर आकर्षक पेंटिंग की जाएगी।
भवन पुराना होने के कारण बारिश के मौसम में सीपेज आ रहा था। स्मार्ट सिटी की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल होने के कारण जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है। यह देखने में आकर्षक लगेगा। इसके लिए 28 लाख खर्च किया जा रहा है। -आशीष शुक्ला, इंजीनियर, स्मार्ट सिटी रायपुर
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