चिकित्सा महाविद्यालय के संचालन से पहले वायरोलॉजी लैब के लिए प्रबंधन को मशक्कत करनी पड़ेगी। अधिसूचना के बाद अब देश के प्रत्येक चिकित्सा महाविद्यालय में बायो सेफ्टी लेवल दो स्तर की वायरोलॉजी लैब का निर्माण जरूरी हो गया है।
चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस की 50, 100, 150, 200 और 250 सीटों की मान्यता के लिए वायरोलॉजी लैब के साथ ही आधारभूत संरचना,तकनीकी विशेषज्ञों व सहायकों की मौजूदगी और जांच पड़ताल के लिए तकनीकी के साथ ही मापदंडों पर पूरी तरह खरा उतरने वाले उपकरणों को लगाना होगा।
मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने मिनिमम स्टैंडर्ड रेग्युलेशन (संशोधित )2020 के तहत गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। एमसीआइ की बोर्ड ऑफ गवर्नेस ने देश भर के चिकित्सा महाविद्यालयों को नोटिफिकेशन जारी करते हुए आदेश दिया है।
लैब को इसलिए किया अनिवार्य
चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों को कोरोना के अलावा अन्य संक्रामक बीमारियों की जांच में आसानी होगी। साथ ही विभिन्न प्रकार के वायरस का अध्ययन भी कर सकेंगे। चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों को नए वायरस के अध्ययन का अवसर मिलेगा। इससे बीमारियों की पहचान में भी आसानी होगी ।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने गजट नोटिफिकेशन के जरिए चिकित्सा महाविद्यालयों में वायरोलॉजी लैब को अनिवार्य कर दिया है। इसके बगैर अब मान्यता नहीं मिलेगी । कोरोना संक्रमण के दौर में वायरस का वायरोलॉजी लैब में ही जांच हो सकती है। लिहाजा एमसीआइ ने चिकित्सा महाविद्यालयों में बायो सेफ्टी लेवल-दो की वायरोलॉजी लैब खोलने की अनिवार्यता रख दी है। - डॉ.एसएल आदिले-डीएमई,छत्तीसगढ़
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