दूरवर्ती शिक्षण संस्थान से बीई डिग्रीधारी विकास कुमार सिंह ने वकील रोहित शर्मा के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि दूरवर्ती शिक्षण संस्थान के जरिए संचालित बीई के पाठ्यक्रम को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वर्ष 2010 के पूर्व अनुमति प्रदान कर दी थी।
वर्ष 2010 में मान्यता के संबंध में राज्य शासन ने कहा कि केंद्र सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अनुमति के बाद शासन की ओर से अतिरिक्त सहमति की जरूरत नहीं है। केंद्र द्वारा जारी मान्यता पर राज्य शासन ने अपनी सहमति जता दी थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक निर्देश जारी कर दूरवर्ती शिक्षण संस्थान के माध्यम से बीई की डिग्री प्राप्त करने वालों के लिए सरकुलर जारी किया।
दूरस्थ शिक्षण से बीई की डिग्री को सरकारी नौकरी में मान्यता पर Chhattisgarh High Court ने यह कहा
Updated: | Sat, 04 Jul 2020 10:20 AM (IST)
Chhattisgarh News : बिलासपुर। दूरवर्ती शिक्षण संस्थान की एएमआइसीई की डिग्री को लेकर विवाद गहरा गया है। शासन के निर्णय से प्रभावित बीई के डिग्रीधारी युवक ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य अभियांत्रिकी परीक्षा परिणाम के बाद एक पद रिक्त रखने के राज्य लोकसेवा आयोग को निर्देश दिए हैं।
दूरवर्ती शिक्षण संस्थान से बीई डिग्रीधारी विकास कुमार सिंह ने वकील रोहित शर्मा के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि दूरवर्ती शिक्षण संस्थान के जरिए संचालित बीई के पाठ्यक्रम को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वर्ष 2010 के पूर्व अनुमति प्रदान कर दी थी।
वर्ष 2010 में मान्यता के संबंध में राज्य शासन ने कहा कि केंद्र सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अनुमति के बाद शासन की ओर से अतिरिक्त सहमति की जरूरत नहीं है। केंद्र द्वारा जारी मान्यता पर राज्य शासन ने अपनी सहमति जता दी थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक निर्देश जारी कर दूरवर्ती शिक्षण संस्थान के माध्यम से बीई की डिग्री प्राप्त करने वालों के लिए सरकुलर जारी किया।
इसमें कहा गया कि 31 मई 2013 के पूर्व जिन्होंने प्रवेश लिया है उनकी डिग्री मान्य होगी। वर्ष 2013 के बाद प्रवेश लेने वालों की डिग्री को अमान्य कर दिया। इसके बाद के निर्णय को देशभर के प्रांतों के हवाले कर दिया। याचिका के अनुसार वर्ष 2016 में राज्य शासन ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दूरवर्ती शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित बीई डिग्री के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने एएमआइसीई को मान्यता न देने का निर्णय पारित कर दिया। समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्य शासन ने सरकुलर जारी कर मान्यता रद कर दी।
वकील शर्मा ने संवैधानिक व्यवस्था का दिया हवाला
याचिकाकर्ता के वकील रोहित शर्मा जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच के समक्ष संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती दिनांक से दूरवर्ती शिक्षण संस्थान की मान्यता रद करने के संबंध में राज्य शासन को अधिकार नहीं है। विधायिका के अधिकार के साथ अनावश्यक हस्तक्षेप है । पूर्व की मान्यता को रद करने का अधिकार विधायिका को है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 31 मई 2013 के पूर्व के डिग्री को मान्य किया है। राज्य शासन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मान्यता संबंधी आदेश को खारिज नहीं कर सकती । मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस भादुड़ी ने राज्य लोकसेवा आयोग को निर्देश जारी कर एक पद रिक्त रखने कहा है।
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