रायपुर. विश्वविद्यालयों में कुलपति चयन के अधिकार को लेकर उठे विवाद में भाजपा के रुख पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल शुरू किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2009 में कुलपति नियुक्ति का ऐसा नियम बनाया था। उसके मुताबिक कुलपति का चयन राज्य सरकार करेगी और अधिसूचना राज्यपाल जारी करेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी कुलपति चयन का अधिकार कैबिनेट को देते हुये संशोधन लाया है जो राज्यपाल के पास है। लेकिन रमन सिंह को मोदी तक पर भरोसा नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने कानून बनाया है तो अच्छा कानून होगा, यह रमन सिंह जी को और भाजपा को मान लेना चाहिए। भाजपा अगर ऐसे कानून को राज्यपाल का अधिकार छीनने की कोशिश और अधिनायकवादी प्रवृत्ति कहती है तो यह प्रवृत्ति तो नरेन्द्र मोदी की हुई। शैलेश नितिन ने कहा, राज्यपाल से मंत्रियों के मिलने में भी रमन सिंह की परेशानी पूरी तरह से गलत है। क्या भाजपा यह चाहती है कि राज्यपाल से सरकार के मंत्री न मिले? या प्रदेश की कोई बात राज्यपाल तक न पहुंचाई जाये। दरअसल, विधानसभा से पारित छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर राज्यपाल ने वीटो कर दिया है। गुरुवार को चार मंत्रियों ने राज्यपाल से मिलकर उन्हें समझाने की कोशिश की। शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इसे संघीय ढांचे पर हमला बताया था। उन्होंने मंत्रियों की राज्यपाल से मुलाकात को भी दबाव बनाने की कोशिश बताया।
यूपीए सरकार ने तो नहीं लटकाया था कोई बदलाव
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, इसके पहले तीन बार जब रमन सिंह सरकार ने नियुक्तियां प्रस्तावित की। केन्द्र में जब यूपीए की सरकार थी, उस समय उन नियुक्तियों में कोई बदलाव राज्यपाल की ओर से नहीं हुआ। आज जब कांग्रेस की सरकार बनी है तो ऐसा कार्य केन्द्र की मोदी सरकार के द्वारा क्यों किया जा रहा है? हम राज्यपाल जी से अपेक्षा करते है कि वे राज्य सरकार, जनता और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही करें तो इसमें बुरा क्या है?
बलदेव शर्मा की नियुक्ति पर आपत्ति
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, बलदेव प्रसाद शर्मा की पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नियुक्ति हुई है। वे आरएसएस का मुखपत्र पांचजन्य के संपादक रहे हैं। सवाल ये है कि एक कांग्रेस शासित प्रदेश में उन्हें कुलपति बनाकर क्या संदेश दिया जा रहा है? इससे राज्य के छात्रों में क्या संदेश जाएगा? क्या इस तरीके से शिक्षा का राजनीतिकरण जायज है? कांग्रेस सरकार इसमें सुधार कर निष्पक्ष लोगों की नियुक्ति की कोशिश कर रही है।
इस बयान के बाद गरमाई राजनीति
राज्यपाल से प्रदेश के चार मंत्रियों से हुई मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा था कि विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए राज्यपाल अनुसुईया उइके पर पर दबाव बनाने की प्रदेश सरकार की कोशिश घोर लोकतांत्रिक, असंसदीय और असंवैधानिक है। उन्होंने इसकी कड़ी निंदा करते हुए ट्वीट किया था कि कांग्रेस सरकार में न तो समझ बूझ है और न ही प्रशासनिक क्षमता दिख रही है। अब वह राज्यपाल पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश करती है तो एक बार फिर संघीय ढांचे व संवैधानिक प्रक्रिया का खुला अपमान होगा।
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