- केंद्र सरकार ने फंड दिया लेकिन पाई-पाई खर्च का ऑडिटेड हिसाब भी मांगा
- रकम सिर्फ प्रवासी मजदूरों के क्वारंटाइन, भोजन, इलाज और परिवहन पर खर्च होंगे
रायपुर. जिस पीएम केयर फंड को लेकर कांग्रेस हमलावर है, उसी से छत्तीसगढ़ सरकार को 13 करोड़ 31 लाख 40 हजार 940 रुपए भेजे गए हैं। फंड के साथ यह गाइडलाइन भी भेजी गई है कि रकम सरकार चाहे जिस तरह खर्च करे, लेकिन इस खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र और ऑडिट रिपोर्ट भी भेजनी होगी। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ शासन ने भी अफसरों को निर्देश दिए हैं कि इस फंड को खर्च करें तो उसका एक-एक दस्तावेज संभालकर रखा जाएगा। यही नहीं, फंड जिस काम के लिए दिया गया है, खर्च भी उसी पर होना चाहिए।
कोरोना लॉकडाउन के वक्त प्रदेश में बाहर से आए मजदूरों के लिए जो क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए, उनके रखरखाव, ट्रांसपोर्टिंग और भोजन पर खर्च पीएम केयर फंड से भेजी गई रकम से किया जाना है। जो भी रकम अाई है, वह केवल प्रवासी श्रमिकों पर भी खर्च होनी है। यही नहीं, प्रवासी श्रमिकों को इलाज की जरूरत पड़ी तो उसमें भी इसी फंड का पैसा खर्च किया जाएगा।
केंद्र ने साफ किया है कि इसके अलावा किसी और मद में इस फंड से रकम नहीं खर्च करनी है। अगर पूर्व में किसी मद से इन कार्यों पर खर्च कर दिया गया है, तो वह भी इसमें एडजस्ट नहीं होगा। यही नहीं, किसी भी हालत में अफसरों को एक ही प्रयोजन के लिए दोबारा पेमेंट नहीं करना है।
सबसे ज्यादा पैसे जांजगीर को : मालूम हो कि सबसे ज्यादा 4 करोड़ 46 लाख 28 हजार 600 रुपए जांजगीर-चांपा जिले को, फिर बेमेतरा को 1 करोड़ 16 लाख 61 हजार रुपए तथा सबसे कम धमतरी को 6 लाख 3 हजार 622 रुपए दिए हैं। गौरेला, सुकमा, कोंडागांव व कांकेर जिलों को क्वारंटाइन सेंटर के लिए रुपए नहीं मिले हैं। केवल परिवहन व्यय मिला है।

पूरा रिकार्ड रखना होगा
दिल्ली से फंड के साथ आई गाइडलाइन के मुताबिक भुगतान की दशा में खर्च से जुड़े प्रवासी श्रमिकों का लेखा-जोखा भी देना होगा। निष्पक्ष ऑडिटर्स इस खर्च की ऑडिट करेंगे। इसीलिए अफसरों से कहा गया है कि वे इससे संबंधित सभी अभिलेख सुरक्षित रखें। प्रदेश की राहत आयुक्त व सचिव डॉ. रीता शांडिल्य ने पीएम केयर से लाभांवित होने वाले मजदूरों की जानकारी जिला, ब्लाक व तहसील स्तर पर भी रखने को कहा है।
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