गुरु पूर्णिमा को हुआ था महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म
छत्तीसगढ़ संत महासभा के अध्यक्ष स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती बताते हैं कि शास्त्रीय मान्यता के अनुसार महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास (महर्षि वेद व्यास) का जन्म आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। वेदव्यास को गुरुओं का गुरु कहा जाता है इसलिए उनकेजन्मोत्सव को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस साल 5 जुलाई को आषाढ़ी पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा।
गु'यानी अंधकार 'रु'यानी निरोधक
'गु' शब्द का वास्तविक अर्थ होता है अंधकार और 'रु' का मतलब निरोधक। अर्थात जो अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है उसे ही गुरु कहा गया है। गुरु अपने शिष्यों को हर संकट से बचाने के लिए प्रेरणा देते रहते हैं, इसलिए हमारे जीवन में गुरु का अत्यधिक महत्व है।
गुरु पूर्णिमा के दिन साक्षात गुरुदेव अथवा गुरु के छायाचित्र की पूजा-अर्चना करके गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन मंत्रों का जाप करने से सफलता के द्वार खुलेंगे और बल बुद्धि में वृद्धि होगी।
कालसर्प दोष हो तो करें गुरु की पूजा
यदि किसी की कुंडली में काल सर्प दोष हो तो इससे छुटकारा पाने के लिए गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा करके आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। इससे परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
अगला ग्रहण नवंबर-दिसंबर में
ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि साल 2020 में कुल छह ग्रहण का संयोग बना है। पहला ग्रहण 10 जनवरी को था, दूसरा 5 जून और तीसरा 21 जून को था। इसके बाद चौथा ग्रहण 5 जुलाई को, पांचवां ग्रहण 30 नवंबर और आखिरी छठा ग्रहण 14 दिसंबर को होगा। आखिरी दोनों ग्रहण भारत में दिखाई देंगे इसलिए उन ग्रहण का सूतक काल माना जाएगा।
Post a comment