कोरबा Korba Elephant News । छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों की लगातार हो रही मौत की जांच के लिए दिल्ली से विशेषज्ञों की एक टीम कोरबा पहुंची। टीम के सदस्यों ने कटराडेरा गांव पहुंचकर गंभीर रूप से बीमार हाथी का जायजा लिया। अब तक हुए उपचार की भी जानकारी जुटाई। परीक्षण के बाद कुछ आवश्यक दवाएं देने का भी सुझाव दिए।
जिले के कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज में बीमार हाथी का उपचार पिछले नौ दिन से चल रहा। सोमवार की देर शाम को दिल्ली से पहुंचे विशेषज्ञ डॉ. केएम सेलवन साइंटिस्ट डी, डॉ. प्रजना पंडा नेशनल को-ऑर्डिनेटर व डॉ. अंकुश वेटेरिनरियन मौके पर पहुंचे। यहां ग्रामीणों से टीम के सदस्य रूबरू हुए। इस दौरान हाथी किस अवस्था में ग्रामीण के आंगन तक पहुंचा और कैसे गिरा इसकी जानकारी लेकर सीन तैयार किया गया।
हाथी के स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए कोरबा डीएफओ गुरुनाथन एन ने अब तक के उपचार का ब्योरा उपलब्ध कराया। हाथी को दिए जा रहे दवा और उसकी स्थिति को देखते हुए दिल्ली के कुछ अन्य हाथी विशेषज्ञ चिकित्सकों से मोबाइल पर टीम ने कंसल्ट किया। इसके बाद कुछ आवश्यक दवाएं और बढ़ाई गई। मंगलवार को केंद्रीय टीम अंबिकापुर के लिए रवाना हो गई। वहां लगातार एक के बाद एक तीन हाथियों की मौत की जांच करेगी।
एक्स-रे रिपोर्ट में नहीं निकला पैर फ्रैक्चर
चिंता की बात यह है कि हाथी अभी भी स्वयं आहार ग्रहण करने में असमर्थ है। वह जब तक खुद खाना नहीं खाता तब तक उसकी जान को खतरा बना रहेगा। पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से हाथी के सामने के बायां पैर का और गला का एक्स-रे लिया। हाथी के बायां पैर का एक्स-रे लेने के लिए उसके बायां पैर को ऊपर उठाया गया और एक्स-रे प्लेट को उसके नीचे रख ऊपर से एक्स-रे मशीन से फिल्म लिया गया।
गला के एक्स-रे के लिए हाथी के सिर और शरीर तरफ बोरे की मदद से गले के नीचे जगह बनाकर एक्स-रे प्लेट को रखकर फिल्म लिया गया। 1600 किलो ग्राम के हाथी के एक्स-रे लेने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ा। चिकित्सकों को हाथी के पैर के फैक्चर होने की संभावना थी, पर एक्स-रे रिपोर्ट में पैर सही सलामत मिला।
80 की जगह कर रहा 20 किलो भोजन
जहां-जहां पर हाथी के स्वयं का भार पड़ रहा, वहां की त्वचा कमजोर हो रही थी, इसलिए हर पांच-छह घंटे में हाइड्रा की मदद से करवट बदला जा रहा। हाथी के मुंह में छाले (स्ट्रोमीटिस) हो गए हैं, जिसके कारण वह गन्ना को केवल चूस कर फाइबर को उगल दे रहा है।
स्ट्रोमीटिस के कारण निगलने में समस्या हो रही है, इसलिए बहुत धीरे-धीरे भोजन निगल रहा है। प्रतिदिन 80 किलो भोजन की आवश्यकता रहती है, पर 20 किलो ही भोजना ग्रहण नहीं कर रहा। स्ट्रोमीटिस के इलाज के लिए दवाइयों के अलावा ग्लिसरीन एवं हल्दी का पेस्ट और शहद का लैप लगाया जा रहा है।
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