कोविड-19 वायरस से सुरक्षा हेतु लागू लाॅकडाउन से ग्रामीण व वनांचल क्षेत्रों के रहवासियों को आर्थिक समस्याएउत्पन हो रही थी उन्हे काफी समस्याओ का सामना करना पड़ रहा था जिसे ध्यान मे रखते हुए शासन नेे उन्हें राहत दिलाने के लिए परम्परागत लघुवनोपज अन्तर्गत आने वाले वनोत्पादों का संग्रहण कार्य हेतुसषर्त छूट दी गई है। जिससें वे अपनी अजीविकाहेतु वनोत्पादो का संग्रहण तो कर ही रहे हैं साथ ही राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल वनधन योजना का लाभ भी प्राप्त कर रहे है। सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए वनोत्पादों का संग्रहणस्व-सहायता महिला समूह के द्वारा किया जा रहा है। जैसे - हर्रा, बहेड़ा, चरोटा, महुआ,धवाईफूल, बेलदुगा, नागरमोथा, अमलतास, इमलीइत्यादी वनोत्पादो का संग्रहण किया जा रहा हैं। अब ग्रामीण व वनांचल क्षे़त्रों के रहवासियों की लाॅकडाउन अवधि में भी आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है। जिससें वे अपनी जरूरतों की पूर्ति कर पा रहे हैं।
ज्ञात हो कि वनोपजों को स्थानीय बिचैलिये वन ग्रामपहुंचकर कम दामों पर खरीद कर बाहरी बाजारों में अधिक कीमत पर बेच कर मुनाफा कमा रहे थे। ऐसे में सभी को साथ में लेकर चलने के इरादे से वनवासियों एवं ग्रामिणों को आय दिलाने एवं आय वृद्वि के उद्देष्य से राज्य सरकार ने वनोपजों का सही मूल्य दिलाने के लिए वनधन विकास योजना के तहत वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया, जिससे वनोपजों का सही मूल्य दिलाकर बिचैलियांे व कोचियों के शोषण से बचाव हेतुवनधन योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। इस कार्य में वन विभाग के साथ -साथ राष्ट्रीय आजीविका मिषन के संयुक्त प्रयास से इस योजना के उद्देष्यों को साकार करने में अपनी सहभागिता निभा रहे हैं। सूरजपुर जिले में अभी तक करीब 1244.69 क्ंिवटल वनोत्पाद की खरीदी हो चुकी है जिसका भुगतान राषि 30 लाख 67हजार 657 रुपये का किया जा चुका है। लघुवनोपज की खरीदी से ग्रामीणों को समय पर भुगतान होने पर आर्थिक रुप से सषक्त हो रहे है और अपनी आवष्कताओं की पूर्ति कर रहे है।
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